KEY Messages for Complementary Foods & Nutrition
- दो वर्ष की उम्र तक स्तनपान कराने से बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है
- 6 माह की उम्र से स्तनपान के साथ घरेलू आहार से बच्चा अच्छे से विकसित होता है
- भोजन इतना गाढ़ा हो की चम्मच से न बहे
- ३-४ दिनों के अंतर से एक भोज्य पदार्थ आरम्भ करें. अगर बच्चे को किसी भोजन से एलर्जी हो तो पता लगाना आसान होता है
- मांस, चिकन, मछली, लिवर, अंडे बच्चों को मजबूत बनाते हैं. ९ माह के बाद दही का सेवन करें.
- मटर, अंकुरित बीन्स, दाल, पीसी हुई मूंगफली, अखरोट बादाम और कुम्हड़े, तरबूज,तिल, अलसी के बीज, नारियल का घिसा हुआ गूदा भोजन में मिलकर उसकी पौष्टिकता बढ़ाई जा सकती है.
- भोजन की पौष्टिकता बढ़ने के लिए भिगोना, भूनना और अंकुरित करना सही है
- हरे रंग की सब्ज़ियाँ और पीले फल जैसे कुम्हड़ा, पपीता आँखों के लिए बेहतर होतें हैं और संक्रमण भी कम करते हैं.
- खून की कमी रोकने के लिए हरी सब्ज़ियों, फल्लियाँ और लाल मीट का उपयोग करना चाहिए. विटामिन सी युक्त पदार्थ जैसेकि नीबू, टमाटर, आमला और इमली लौह तत्व के अवशोषण में मददगार होते हैं
- मुनगे अरबी कड़ी पत्ता अत्यंत ही पोषक पत्तिया हमारे आस पास उपलब्ध हैं
- बढ़ते हुए बच्चे के लिए 3-4 बार खाना आवश्यक है, अगर वो भूखा रहता है तो 1-२ बार नाश्ता दे सकते है. खाने में विविधता आवश्यक है. नीरसता से बचना जरूरी है,
- बढ़ते हुए बच्चे के आहार की जरूरत बढ़ती जाती है
- छोटे बच्चों को खाना सीखना पड़ता है उनका उत्साह बढ़ाएं, मदद करें और धीरज रखें
- बीमारी के दौरान भी बच्चे का खाना पीना जारी रखें और इसके बाद जल्दी सेहतमंद होने के लिए अतिरिक्त आहार दें.
- “जंक” भोजन से बचें, इनसे मोटापा बढ़ता है, भूख कम हो जाती है.
- घी और तेल के अधिक प्रयोग से पौष्टिक आहार की मात्र कम हो जाती है
- 3 वर्ष से कम के बच्चों को कड़े पदार्थ जैसे दाने वाले पदार्थ, कच्ची गाजर, मूंगफली, अँगूर इत्यादि न दें.
- बच्चे को चाय, कॉफ़ी, सोडा और मीठे पेय न दें.
- मौसम के मुताबिक भरपूर पानी दें
- अगर बच्चा घरेलू पौष्टिक आहार के लिए मना करे तो विकल्प के तौर पर अपोषक आहार न दें. भूख लगने पर अगर विकल्प उपलब्ध नहीं होगा तो वह घरेलु आहार खाना सीखेगा.
- सुबह के नाश्ते को मिलाकर मुख्य भोजन के २ घंटे पहिले दूध या अन्य पदार्थ न दें। इनसे पेट भरने से बच्चा पौष्टिक आहार नहीं खायेगा
- स्तनपान बंद करने के बाद ऊपरी दूध की मात्र ५०० मिलीलीटर तक सीमित करें, अधिक दूध से खून की कमी और कब्जियत का अंदेशा बना रहता है.
- सुबह घरेलू पौष्टिक नाश्ता देने के बाद ही दूध पिलाएं. ब्रेड, बिस्कुट इत्यादि के प्रयोग से बचें.