- बदलती जीवन शैली और व्यायाम की कमी से खतरा लगातार बढ़ रहा है |
- भविष्य की तमाम बिमारियों जैसे के रक्तचाप, हृदयाघात, डायबिटीज, जोड़ों की व्याधियों के मूल में मोटापा है |
पालकों को चाहिए कि:
- बच्चों के खान पान को लेकर अनावश्यक चिंता न करें. जबरन खाना खिलाने से हर हाल में बचें. भोजन करना बच्चे के लिए सजा न होकर एक आनंददायक अनुभव बने इसका प्रयास करें. बहुत परेशान होकर पालक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भोजन का उपयोग करने लगते हैं, इस से बचना चाहिए।
- बच्चे के शरीरीरक विकास का क्रमिक आंकलन करवाते रहें. सामान्य विकास किसी गंभीर बीमारी के खिलाफ आश्वस्त करता है. बच्चे का सक्रिय रहना भी इतने ही महत्व का है.
- चिंताग्रस्त पालक और बुजुर्ग बहुधा खाना खिलने के लिए बच्चों का ध्यान बाँटने के उपाय करने लगते हैं ताकि वे कुछ खा लें. हमें कार्टून, मोबाइल गेम्स और टीवी देखते हुए खाना खाने से बचना होगा. और ये नियम बडोंछोटों के लिए एक से होने चाहिए।
- सेहतमंद भोजन की जानकारी देने और उसे अमल में लाना सिखाने का दायित्व हमारा ही है. खाने के समय विकल्प के तौर पर फ़ास्ट फ़ूड, डिब्बे बंद या पैकेट वाले पदार्थ तथा मीठे पेय उपलब्ध नहीं होने चाहिए.
- “स्क्रीन टाइम”: मोबाइल, वीडियो गेम्स, टीवी, कम्प्यूटर्स इत्यादि सभी मिलकर अधिकतम २ घंटे का होना चाहिए |
- बच्चे को कमसे कम १ घंटे के शारीरिक व्यायाम के लिए प्रोत्साहित करें |
- याद रखें मोटापा अधिक भोजन और कम व्यायाम का ही प्रतिफल है, हॉर्मोन्स से सम्बन्धी बीमारियां बहुत ही कम बार इसके लिए जिम्मेदार होती है |