डॉक्टर साहब! मेरा बच्चा पोष्टिक खाना नहीं खाता
8/15/20241 min read
बच्चे के खाने को लेकर कई माताएं परेशान रहती हैं। पहले छह महीने तक शिशु के लिए मां का दूध सबसे अच्छा और पूरा खाना होता है। यह एक प्राकृतिक, सुलभ और पौष्टिक तरीका है, जो बाकी सभी दूधों से कहीं बेहतर होता है। मां और बच्चे के बीच यह भावनात्मक रिश्ता भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास में मदद करता है।
ज्यादातर माताएं शारीरिक रूप से दूध पिलाने में सक्षम होती हैं, और इसके लिए बस सही मदद और मार्गदर्शन की जरूरत होती है, खासकर पहली बार मां बनने वाली माताओं को। दूध पिलाने में आने वाली बड़ी परेशानी अक्सर सही तैयारी और निर्देशों की कमी होती है।
शुरुआत में, कई माताओं को दूध की पर्याप्तता और प्रवाह को लेकर चिंता होती है। यह समझना जरूरी है कि दूध पिलाना ही दूध के उत्पादन की शुरुआत है। कई बार माताएं दूध आने का इंतजार करती हैं, और इस इंतजार में देर हो जाती है। दूसरी बड़ी समस्या बाहरी दूध या पेय पदार्थ देना होता है, खासकर जब बोतल का इस्तेमाल किया जाता है, तो और भी मुश्किलें आ सकती हैं।
बच्चे के खाने और पोषण से जुड़े कुछ जरूरी संदेश:
दो साल तक स्तनपान: दो साल तक मां का दूध बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है।
6 महीने के बाद खाना: 6 महीने की उम्र के बाद मां के दूध के साथ घर का खाना देना शुरू करें, ताकि बच्चा अच्छे से बढ़े।
खाने की स्थिरता: खाना ऐसा होना चाहिए कि चम्मच से न गिरे।
नए खाने की शुरुआत: 3-4 दिन के अंतराल से नया खाना शुरू करें। अगर बच्चे को किसी खाने से एलर्जी हो तो पहचानना आसान होगा।
पोषक खाद्य पदार्थ: मांस, चिकन, मछली, लीवर, अंडे, मटर, अंकुरित बीन्स, दाल, मूंगफली, अखरोट, बादाम, कुम्हड़ा, तरबूज, तिल, अलसी के बीज, और नारियल का घिसा हुआ गूदा बच्चे के खाने में शामिल करें, ये उनके पोषण को बढ़ाते हैं।
खाने को भिगोना और भूनना: इन तरीकों से खाने की पौष्टिकता बढ़ सकती है।
हरे रंग की सब्जियां और फल: हरी सब्जियां और पीले फल जैसे कुम्हड़ा, पपीता आंखों के लिए अच्छे होते हैं और इंफेक्शंस से बचाते हैं।
खून की कमी से बचाव: हरी सब्जियां, फलियां और लाल मांस का सेवन करें। विटामिन C वाले फल जैसे नींबू, टमाटर, आमला और इमली लौह तत्व के अवशोषण में मदद करते हैं।
मुनगा और कड़ी पत्ता: मुनगा और कड़ी पत्ता जैसे पौष्टिक पत्ते हमारे आसपास आसानी से मिलते हैं, इन्हें बच्चे के खाने में जरूर डालें।
बच्चे के खाने से जुड़ी कुछ और बातें:
संतुलित खाना: बढ़ते हुए बच्चे के लिए दिन में 3-4 बार खाना जरूरी है। अगर बच्चा भूखा रहता है तो एक दो बार नाश्ता भी दे सकते हैं। खाने में विविधता बनाए रखें, ताकि बच्चा एक ही प्रकार का खाना न खाए।
बीमारी के दौरान भी खाना: अगर बच्चा बीमार है तो भी उसे खाना जारी रखें और उसकी सेहत जल्दी ठीक करने के लिए अतिरिक्त पौष्टिक खाना दें।
जंक फूड से बचें: जंक फूड से बचें क्योंकि इससे बच्चे का वजन बढ़ सकता है और भूख कम हो जाती है।
घी और तेल का कम इस्तेमाल: घी और तेल का ज्यादा इस्तेमाल खाने की पौष्टिकता को कम कर देता है।
कच्चे खाने से बचें: 3 साल से छोटे बच्चों को कच्ची गाजर, मूंगफली, अंगूर जैसी चीजें न दें, क्योंकि ये choking hazards हो सकती हैं।
चाय, कॉफी और मीठे पेय से बचें: बच्चों को चाय, कॉफी, सोडा और मीठे पेय पदार्थों से दूर रखें।
पानी की सही मात्रा: मौसम के हिसाब से बच्चे को भरपूर पानी दें।
पोषक खाना खाने की आदत: अगर बच्चा घर का पोषक खाना खाने से मना करता है, तो उसे कभी भी अपोषक खाना न दें। अगर सही विकल्प नहीं मिलेगा तो बच्चा घर का खाना खाना सीखेगा।
दूध की सही मात्रा: जब बच्चे को स्तनपान बंद कर दें, तो ऊपरी दूध की मात्रा 500 मिलीलीटर तक सीमित रखें, क्योंकि ज्यादा दूध से कब्ज और खून की कमी हो सकती है।
नाश्ते से पहले दूध न दें: सुबह के नाश्ते को मुख्य खाने से 2 घंटे पहले दूध या किसी और चीज़ का सेवन न कराएं, ताकि बच्चा पोषक खाना अच्छे से खा सके।


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